कोरोना का भय दिखाकर दिल्ली वालों पर तमाम तरह की बंदिशें थोप रही दिल्ली सरकार के मंत्रियों, सीनियर नेताओं और कार्यकर्ताओं की बुराड़ी ग्राउंड पर मुस्तैदी दिल्ली वालों को अखर गई।
“भीड़ न हो इसलिए छठ पूजा करने नहीं दी, अब हजारों की संख्या में किसानों को इकट्ठा किया जा रहा है। दिल्ली की जनता के सर्वनाश की तैयारी नहीं तो ये क्या है?” – नवीन कुमार वर्मा, एक आम दिल्ली के नागरिक की यह प्रतिक्रिया बताती है कि दिल्ली का सत्ता नेतृत्व किस तरह से भ्रमित है। अभी ज्यादा दिन नहीं बीते, छठ पूजा के आयोजन को लेकर पूर्वांचल समाज के लोगों ने धरना प्रदर्शन, मान मन्नौवल सब आजमा लिए, लेकिन दिल्ली सरकार टस से मस नहीं हुई। और आखिरकार आस्था के महापर्व को मनाने की इजाजत नहीं ही दी। जबकि विशेष तैयारी के साथ इसे आयोजित किया जा सकता था। सफाई यही दी गई थी कि कोरोना संकट अपने पीक पर है।
कोरोना का संकट अभी टला नहीं है। अभी हालात सुधरे नहीं हैं। हर बाजार-हाट व चौक-चौराहे पर दिल्ली सरकार की तरफ से दिल्ली सिविल डिफेंस व अन्य एजेंसियां कोरोना के नियमों को लेकर सख्ती का सख्ती से संदेश देते दिख ही रही हैं। लोगों का धड़ल्ले से चालान काटा जा रहा है। यहां तक की गाड़ी में अकेले बैठे व्यक्ति तक के चालान कट रहे हैं। शादियों या किसी विशेष आयोजनों में ज्यादा लोगों के पहुंचने पर भी चालान कट रहे हैं। कोरोना प्रोटोकॉल के उल्घंन पर 2000 से 2 लाख रुपए तक का जुर्माना दिल्ली वालों से वसूला जा रहा है।
लेकिन महामारी के इस संकट के दौर में नियम तो सबके लिए समान होने चाहिए। माना किसान परेशान हैं, दिल्ली में बैठी शीर्ष केंद्रीय सत्ता तक अपनी बात पहुंचाना चाहते हैं। यह केंद्र सरकार की चुनौती है। बात बीजेपी के साख से जुड़ी है। समाधान की कवायद चल ही रही है। लेकिन इस बीच में दिल्ली की सत्ता में बैठी आम आदमी पार्टी के सियासी अरमान को हिलोरें मारते सब ने देखा। यहां तक कि किसानों ने भी इस पर आपत्ति जाहिर की। आंदोलन में दिल्ली पहुंचे एक किसान का बयान वायरल हो रहा है जिसमें वो कह रहा है,
“मामला तो किसान का है इसमें केजरीवाल की फोटो का क्या मतलब ?”
पंजाब में अपनी सियासी जमीन तैयार करने में जुटी आम आदमी पार्टी ने इतने सारे पंजाब से आए किसानों को देख अपना धैर्य त्याग दिया। सारे के सारे कोरोना के प्रोटोकॉल भुला दिए। दो करोड़ दिल्ली वालों की जान की परवाह न करते हुए फौरन किसानों की खातिरदारी में जुट गई। दिल्ली जलबोर्ड के वाइस चेयरमैन राघव चड्डा खुद निरंकारी ग्राउंड में पानी के बड़े बड़े टैंकर लगवाते दिखे। वो भी तब जब उत्तरी दिल्ली की बड़ी आबादी पिछले तीन दिनों से पीने के पानी के लिए तरस रही थी। शुक्रवार देर शाम तक बिजली का प्रबंध किया गया। लंगर की तैयारी शुरू हो गई। स्थानीय विधायक संजीव झा भी तमाम तरह की अन्य सुविधाएं जुटाते नजर आए।
शायद किसानों को भी आभास हो गया कि इस आवभगत के कुछ और ही सियासी मायने हैं। उन्होंने बुराड़ी के निरंकारी ग्राउंड पर जाने से ही मना कर दिया और दिल्ली की सीमा पर ही डटे रहे।
दिल्ली बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने भी दिल्ली सरकार की इस सक्रीयता का संज्ञान लेते हुए कहा कि निरंकारी मैदान मे आने वाले किसानों के कोरोना टेस्ट के लिए कोई सेंटर तक नहीं बनाया गया है, इस तरह तो अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए केजरीवाल सरकार किसानों की खिदमत करने के साथ-साथ उन्हें कोरोना भी परोस रही है। यह दिल्ली के आम लोगों की जान से भी खिलवाड़ है।