पूर्वी दिल्ली नगर निगम के स्टोर परिसर में 200 कूड़ा उठाने वाली ई-कार्ट सड़ी हालत में पाई गईं। सारी की सारी गाड़ियां नई खरीदी गई थीं। लेकिन दो साल से पड़े पड़े इस खराब हालत में पहुंच गई हैं। बताया जा रहा है कि इसे उत्तर पूर्वी दिल्ली के सासंद मनोज तिवारी और पूर्वी दिल्ली के तात्कालिन सांसद महेश गिरी के सांसद निधि के पैसों से इन गाड़ियों को खरीदा गया। आम आदमी पार्टी की तरफ से तो यह भी आरोप लगाया जा रहा है कि इन गाड़ियों की खरीद में भारी घोटाला किया गया। 60 से 70 हजार में मिलने वाली ई-रिक्शा गाड़ी को सवा दो लाख रुपए में खरीदा गया। हालांकि पार्टी की तरफ मीडिया को संबोधित करते हुए एमएलए सौरभ भारद्वाज द्वारा यह स्पष्ट नहीं किया गया कि घोटाला किसकी तरफ से किया गया है, सांसदों की तरफ से या फिर एमसीडी के अधिकारियों की तरफ गड़बड़ी की गई है। उन्होंने सवाल जरूर खड़े किए।
पूर्वी दिल्ली की सबसे बड़ी समस्या कूड़े की ही बताई जाती है। जगह जगह कूड़े के ढ़ेर पड़े होते हैं। जिन्हें नहीं उठाने के कई कारण बताए जाते हैं। उसमें एक बड़ा कारण कूड़ा उठाने वाली गाड़ियों का नहीं होना बताया जाता है। बावजूद इसके एमसीडी परिसर में ही खड़े खड़े दो सौ नई कूड़ा उठाने वाली गाड़ियों का सड़ जाना हैरान तो करता ही है। राजधानी दिल्ली की स्वच्छता के प्रति इतनी लापरवाही क्यों? क्यों नहीं एमसीडी ने समय रहते इनका इस्तेमाल शुरू किया? इस तरह जनता के पैसे क्यों बर्बाद किए गए? इस नुकसान का जिम्मेदार कौन है?
तमाम तरह के सवाल कूड़ा बन गईं कूड़ा उठाने वाली इन गाड़ियों के संबंध में उठना जायज है। उम्मीद तो यही की गई कि बीजेपी या एमसीडी की तरफ से कोई न कोई इन सवालों के ठोस जवाब जरूर देगा। देर सही आधा अधूरा जवाब ही सामने आया वो भी धमकी भरे लहजे में। सबसे पहले सांसद मनोज तिवारी की तरफ से इस सारी कवायद को केजरीवाल सरकार की छठ पर नाकामी को छिपाने के मकसद से की गई लीपापोती करार दिया गया। चूंकि सांसद मनोज तिवारी ने छठ पूजा पर बैन लगाने के लिए केजरीवाल सरकार पर हमला बोला इसीलिए आम आदमी पार्टी की तरफ से ऐसा झूठा आरोप लगाया जा रहा है। उनकी तरफ से मूल मामले के बारे में तो कुछ नहीं कहा गया, धमकाया जरूर गया है कि केजरीवाल अपने दावे को साबित करें वरना कानूनी कार्रवाई झेलने के लिए तैयार रहें।
उसी तरह निगम पार्षद व पूर्व जोन चेयरमैन प्रमोद गुप्ता ने कहा कि इस तरह की बैटरी रिक्शा जिसे कूड़ा उठाने वाले ई-कार्ट में तब्दील किया गया हो, जिसमें हेवी ड्यूटी की बैटरी लगी हो, जो 800 किलोग्राम भार उठाने की क्षमता रखता हो, जिसमें जीपीएस और कैमरा भी लगा हो आप पार्टी 60 हजार में खरीद कर जनता को समर्पित करे, नहीं तो कानूनी प्रक्रिया के लिए तैयार रहे। और भी कई बीजेपी नेताओं ने इतनी सस्ती गाड़ी दिलवाने की ही बात की।
बताइए जरा इतनी अच्छी और महंगी गाड़ी खड़े-खड़े सड़ गई, वो भी एक दो नहीं पूरे दो सौ। एक गाड़ी की कीमत सवा दो लाख के करीब बताया जा रहा है। मतलब करोड़ों का नुकसान। सफाई तो इस पर देनी ही चाहिए दिल्ली बीजेपी को, विशेषकर पूर्वी एमसीडी को, आखिर इसके पीछे क्या मजबूरी रही? क्यों इनको इस्तेमाल में नहीं लाया जा सका?
फिलहाल इस पर सियासी घमासान जारी है। देखना होगा कि आने वाले दिनों में दिल्ली की जनता को सही संतोषजनक जवाब मिल पाता है या नहीं, या फिर जनता को बीजेपी शासित एमसीडी को अपना जवाब देने के लिए एक साल का लंबा इंतजार करना पड़ेगा।