हिन्दू राव अस्पताल के डॉक्टरों की सैलरी आखिरकार लंबे जद्दोजहद के बाद मिलनी तय हुई। उत्तरी दिल्ली नगर निगम की तरफ से सितंबर महीने तक सभी डॉक्टरों का वेतन जारी करने को कहा गया है। डॉक्टरों के संघर्ष का फायदा निगम के अन्य कर्मचारियों को भी मिलता दिख रहा है। उनके भी बकाया वेतन का पार्ट पेमेंट किया जा रहा है। साथ ही चरणबद्ध तरीके से फंड की व्यवस्था के अनुसार सारे ड्यूज क्लियर करने की बात कही गई है।
बात आसानी से बनी ऐसा नहीं है..दिल्ली में जमकर सियासी घमासान चला। एक तरफ दिल्ली के तीनों निगमों के मेयर सीएम आवास के बाहर इसी सैलरी के मुद्दे पर धरना देते दिखे। फिर बीजेपी अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने बताया कि दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन ने 7 दिनों के अंदर फंड देने का आश्वासन दिया है।
तो वही दूसरी तरफ इस मुद्दे पर मोर्चा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने थामा। गाजीपुर में कूड़े से बिजली बनाने के प्लांट के उद्घाटन सामारोह में बोलते हुए बड़ी ही मुखरता से बीजेपी को हर तरफ से घेरते नजर आए।
साफतौर पर सबको दिखा कि इस कोरोना काल में भूख हड़ताल पर बैठे हिन्दू राव अस्पताल के डॉक्टरों का तेज होता आंदोलन सियासी दलों की पेशानी पर बल लाने लगा। दिल्ली के डॉक्टरों के अन्य एसोसियशन भी इस लड़ाई में हिन्दू राव के डॉक्टरों के साथ आते गए। एम्स रेजिडेंट डॉक्टर्स एसेसियशन ने तो बकायदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर इस मसले पर हस्तक्षेप करने का आग्रह किया। एम्स के डॉक्टरों की तरफ से अनुरोध किया गया कि तात्कालिक तौर पर इन कोरोना वारियर्स का वेतन पीएम केयर्स फंड से दिया जाए।
गौरतलब है कि कैपिटल कम्यूनिटी न्यूज इस तरह से पीएम केयर्स फंड या प्रधानमंत्री राहत कोष से इन डॉक्टरों को वेतन देने की बात उठाता रहा है।
मोटे तौर पर इस सारे विवाद में जो बात समझ में आती है कि इस सियासी तपिश की आंच केंद्र सरकार तक पहुंची तभी जाकर जागी एमसीडी। अभी तक तो इस विवाद पर दिल्ली सरकार और एमसीडी के बीच सियासी फुटबॉल खेला जा रहा था। लेकिन लगता है कि मुख्यमंत्री केजरीवाल ने इस विवाद में केंद्र सरकार को घसीट कर एमसीडी में बैठे बीजेपी के नेताओं को असहज कर दिया है। केजरीवाल ने कहा कि केंद्र सरकार जब देश के सारे निगमों को फंड दे रही है तो दिल्ली नगर निगम से क्या दुश्मनी है। चार सौ पचासी रुपए प्रति व्यक्ति के हिसाब से केंद्र सरकार के उपर एमसीडी की तकरीबन 12 हजार करोड़ रुपए की देनदारी है। जो दिल्ली के निगमों का संवैधानिक हक है। जो नहीं मिलने की वजह से ही एमसीडी का बजट बिगड़ा हुआ है। रही बात दिल्ली सरकार की देनदारी की..मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि संविधान के अनुसार जितनी देनदारी बनती है उससे ज्यादा एमसीडी को दिया जा चुका है।
हालांकि एमसीडी ने निगम के डॉक्टरों और अन्य कर्मचारियों की सैलरी देनी शुरू कर दी है लेकिन सियासी मोर्चे पर पीछे हटने के मूड में नहीं दिख रही है। वुधवार को तीनों नगर निगम के महापौर और भाजपा विधायकों के साथ दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी एलजी से मिले और दिल्ली सरकार से निगमों का बकाया फंड 13 हजार करोड़ रुपए और हाउस टैक्स का बकाया 10 हजार करोड़ रुपए जल्द दिलवाने के लिए ज्ञापन सौंपा ताकि नगर निगम कर्मियों को वेतन समय पर दिया जा सके।