सरकारी विभाग कहता है कि पैसा नहीं है इसलिए सड़क नहीं बन पा रही है, समझ में आती है यह बात। विभागीय पेचिदगियों की बात सामने रख दी जाती है। दिल को समझा लेती है इलाके की लाचार जनता। लेकिन फिर अचानक से उसी जर्जर सड़क के किनारे सरकार की मेहरबानियों की मक्खन खाता सरकार की साझेदारी वाला एक विभाग करोड़ों की दीवार बनाना शुरू कर देता है तो ऐसा लगता है सत्ता पर काबिज सियासी दल जनता के जख्मों पर नमक डाल रहे हैं। वो दीवार हर आने जाने वाले आम नागरिकों को मुंह चिढ़ाती नजर आती है।
ऐसा ही कुछ घटित हो रहा है दिल्ली के बेहद खास सिविल लाइंस इलाके के नेहरू विहार की मुख्य सड़क के किनारे। सालों से जर्जर सड़क की मरम्मत तो नहीं हो सकी। इलाके के विधायक और पार्षद बस अपनी अपनी लाचारी की कहानी ही सुनाते रहे हैं अब तक। लेकिन अचानक इसी जर्जर सड़क के किनारे लंबी ऊंची दीवार का निर्माण कार्य शुरू हो गया। बताया गया कि एनडीपीएल के पास चली गई है किनारे की सरकारी जमीन। बड़े फर्जीवाड़े के संकेत मिल रहे हैं। और तो और अब इसे घेरने के लिए करोड़ों रूपए के टेंडर के तहत काम हो रहा है। इस दीवार की बनावट हर आने जाने वाले आम निवासियों का ध्यान आकर्षित कर रही है। आधी दीवार पूरी सीमेंट की बन रही है, बस उपर के हिस्से को ईंटों से बनाया जा रहा है। एक तो इतनी ऊंची दीवार का औचित्य समझ में नहीं आ रहा। पहले भी ऊंची दीवार ही थी। पूरी दीवार को तोड़ कर उससे भी ऊंची दीवार को बनाना और उस पर इतना ज्यादा गैर वाजिब खर्च शंका पैदा कर रहा है। खैर अब आगे बात करने के लिए आरटीआई की रिपोर्ट का इंतजार करना होगा। लेकिन जब तक ये दीवार बनती रहेगी, तय है कि नेहरू विहार के साथ साथ इस सड़क से गुजरने वाले मुखर्जी नगर, परमानंद, एसएफएस, इंद्रा विहार के लोगों के जर्जर सड़क पर चलने के जख्म पर नमक छिड़कने का काम करती रहेगी।
फिलहाल संबंधित अधिकारियों और क्षेत्रीय नेताओं की याद ताजा करने के लिए एक बेहद पुराना शिकायत पत्र और कुछ तस्वीरें सबूत के तौर पर रखना जरूरी है। ताकि ये उनमें इस सड़क की लड़ाई के बेहद पुराने होने का भरोसा जगाया जा सके। सड़क की समस्या की शिकायत मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के समझ रखने के लिए ये पत्र गंभीर सिंह नेगी के द्वारा 3 दिसंबर 2019 को लिखा गया था।
सड़क की जर्जर स्थिति बयां करती ये तस्वीर 13 जनवरी 2019 की है