दिनांक – 28 जून 2015
सुमित अनेजा, संवाददाता, दिल्ली
हिन्दू राव अस्पताल दिल्ली नगर निगम का सबसे बड़ा अस्पताल है। यहाँ कभी फोर्थ क्लास के कर्मचारी वेतन को लेकर हड़ताल करते है तो कभी डॉक्टर्स बुनियादी सुविधाओं को लेकर, जिसका नतीजा मरीजों को भुगतना पड़ता है। ये तो आम बात है कि दिल्ली सरकार हो या दिल्ली नगर निगम दोनों विभाग के अस्पतालो में ICU का बुरा हाल है। नतीजतन मरीजो को सही इलाज न मिल पाता है। हिन्दू राव अस्पताल में भी जीवनदान देने वाली मशीने खराब पड़ी है। लोग बताते है कि यहाँ कभी वेंटीलेटर खराब हो जाता है तो कभी अन्य उपकरण खराब रहते है। जिसके कारण मरीज आईसीयू में दम तोड़ देता है।
दिल्ली नगर निगम के बड़े अस्पतालो में शुमार हिन्दू राव अस्पताल में हालात यह है की यहाँ पीने का पानी भी ठीक से नही मिल पाता। वाटर कूलर लगे है लेकिन उनमे पानी नही आता। यहाँ तक कि डॉक्टरों को भी पीने का पानी घर से लाना पड़ता है। या फिर 20 रुपये की बोतल बाहर से खरीद कर पानी पीना पड़ता है। अस्पताल में जो दवाई डॉक्टर मरीजों को देना चाहते हैं वे दवाइयां अस्पताल की फ़ार्मेसी में उपलब्ध ही नही होती। मरीजों का कहना है कि जो दवाइयां महंगी होती है वो यहाँ नहीं मिलती। अस्पताल में वार्ड और बेड की संख्या मरीजों के मुकाबले कम होने के कारण एक बेड पर दो मरीजों को रखा जाता है। जिसके चलते कई बार मरीजों और डॉक्टरो का झगड़ा भी हो जाता है।
अस्पतालो में मरीजों को सुविधाएं नही मिलती तो उसका नतीजा डॉक्टरों को भुगतना पड़ता है। मरीजों के परिजनों के साथ डॉक्टरों और अस्पताल कर्मचारियों की झड़प की खबरें आती रहती हैं। राजधानी दिल्ली के अस्पतालों की बदहाल स्थिति सरकारी दावों की पोल खोलती है।