″शिव जल धारा अति प्रियः″
कहते है शिव को जल की धारा बहुत पसन्द है। इसी वजह से सावन के मौसम में शिव हमेशा प्रसन्न मुद्रा में, या कह सकते है कि अच्छे मूड में रहते हैं। यही समय होता है जब शिव को मनाना बहुत आसान हो जाता है। इस मौके का इंतजार साल भर से कर रहे शिव भक्त अपने प्यारे भोले बाबा के सामने अपनी दिल की मुरादें या फिर कष्ट निवारण की कामना लेकर जाते हैं। इस आस्था के साथ कि ये सावन उनके जीवन को भी खुशनुमा कर जाएगा। मुखर्जी नगर स्थित भव्य शिव मंदिर के पंडित गोपाल दत्त कहते है कि भगवान शंकर ही ऐसे देवता हैं जो भोले – भाले हैं। मतलब शिव को आप बड़ी आसानी से मना सकते हैं और मनचाहा वरदान पा सकते हैं।
″शिव समान दाता नही, विपत्ति विदारण हार। लज्जा मोरी राखियो, शरण पड़े तिहार।।″
जरा सोचिए सावन में सिर्फ एक लोटा जल शिवलिंग पर चढ़ा कर भी आप शिव को प्रसन्न कर सकते हैं। साथ में बेल पत्र, भांग, धतुरा, आक का पत्ता, कनेर का फूल आदि हो तो बात ही कुछ और है। इन चीजों के भी अलग अलग प्रभाव बताए गए हैं। जैसे धन – दौलत की चाह है तो बेल पत्र या कनेर के पीले फूल जरुर चढ़ाएं।
शिव के मंत्रो को सावन के इस मौसम में ज्यादा प्रभावी माना गया है। महामृत्युंजय मंत्र रोग व अनिष्ट को दूर करता है। शिव पुराण से एक प्रभावी मंत्र बताते है पंडित जी – ″ऊं नमः शिवाय शुभम् कुरु कुरु शिवाय नमः″
वैसे बेहद सरल पंचाक्षर- ″ऊं नमः शिवाय″ तो है हीं।
सावन के मौसम में व्रत के भी बहुत फायदे है बताए गये हैं। पूरे एक महीने व्रत के साथ सिर्फ एक समय फलाहार किया जाए तो सेहत के साथ शिवकृपा से सितारे भी बुलंद होने की बात कही जाती है। वैसे भी इस मौसम में खान – पान में संयम काफी अच्छा माना जाता है। सावन के सोमवार तो खास माने ही जाते हैं। पंडित जी बताते है कि इसी दिन कांवड़ियों का विशेष जल शिवलिंग पर चढ़ाया जाना खास महत्व रखता है।
कई बार पूजन के बाद लगता है कि कहीं कोई कमी तो नही रह गयी, इसके लिए पंडित जी एक मंत्र बताते हैं –
“मंत्रहीनम् क्रियाहीनम भक्तिहीनम् सुरेश्वरम्। यत् पूजतम् मयादेवो परिपूरणं तदस्तुमे।।“