एक और बच्चे ने पबजी के प्रभाव में आकर अपनी जान गंवा दी। दिल्ली के शाहदरा के इलाके में रहने वाले 12 साल बच्चे लक्ष्य को जब मां ने पबजी गेम खेलने से मना किया तो उसने फांसी लगाकर जान दे दी। परिवार बच्चे की पबजी गेम की लत को लेकर परेशान था। लंबे समय से परिवार उसे इस लत से बाहर निकालने के लिए प्रयासरत था। सातवीं में पढ़ने वाले अपने बच्चे को मां नीतू हमेशा समझाया करती थी। उसे दूसरी चीजों में भी मन लगाने को कहा करती थी। मंगलवार सुबह भी जब बच्चे को पबजी खेलते देखा तो उसे गुस्सा आ गया। मां की डांट सुन कर लक्ष्या नाराज हो गया और अपने कमरे में चला गया। देर तक बाहर नहीं निकला तो नीतू उसके कमरे में गई। जहां लक्ष्य फांसी के फंदे में लटका मिला। उसे फौरन अस्पताल ले जाया गया। जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। पुलिस की टीम जांच में जुटी है।
लेकिन बड़ा सवाल यही है कि आखिर कब तक पबजी जैसे गेम की चपेट में आकर देश के नौनिहाल अपनी जान गंवाते रहेंगे। सरकार इस तरह के गेम को बैन क्यों नहीं करती है? पिछले दिनों सरकार ने जब कई चीनी एप को बैन करने का निर्णय लिया तो उम्मीद की जा रही थी कि पबजी भी बैन हो जाएगी। लेकिन जानकारी मिली की यह गेम साउथ कोरिया की कंपनी, पबजी कॉर्पोरेशन, की है, इसमें चीनी कंपनी टेंशेट होल्डिंग्स की हिस्सेदारी ग्यारह प्रतिशत के करीब ही है।
पबजी पर लगे पाबंदी
लंबे समय से सरकार से ब्लू व्हेल गेम की तरह ही पबजी पर पाबंदी की मांग उठती रही है। हाईकोर्ट भी पिछले साल इस से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से पबजी पर बैन लगाने का फैसला सुना चुकी है। याचिकाकर्ता की दलील थी कि यह गेम बच्चों के शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर कर देती है। चूंकि ये एक किस्म का वार गेम है बच्चे इसके कैरेक्टर से खुद को कनेक्ट करके देखने लगते हैं। जिसकी वजह से उनके अंदर मनोवैज्ञानिक बदलाव होने लगता है। वे ज्यादा हिंसक हो जाते हैं। गुजरात सरकार सभी स्कूलों में पबजी पर प्रतिबंध लगा चुकी है।