कांग्रेस के कितने बाजू..कितने सर..?

इतने बाजू..इतने सर गिन ले दुश्मन ध्यान से..जीतेगा तू हर बाजी..जब लड़ेंगे हम जी जान से..कांग्रेस कलह से कुछ ऐसा ही संदेश देश को जा रहा है..विशेषकर बीजेपी को जो कांग्रेस को कमजोर करने की कोई कोर कसर ऑलरेडी नहीं छोड़ रही। ऐसे वक्त में ऐसी कलह हैरान करती है। निचले स्तर की नहीं है ये भिड़ंत..शीर्ष कांग्रेसियों की ये कागजी लड़ाई क्या क्या नुकसान देकर जाएगी इसके लिए तो थोड़ा इंतजार करना होगा। हालांकि रिपेयर वर्क तेजी से जारी है लेकिन इससे इंकार नहीं किया जा सकता कि गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल, आनंद शर्मा जैसे दिग्गज नेताओं की निष्ठा पर सवाल उठना, वो भी पार्टी के अंदर उठना, अंदरूनी रूप से गहरा आघात पहुंचाने वाला साबित होगा।

23 में से एक एक नाम देखिए और उनकी पहचान और पकड़ देखिए – भूपिंदर सिंह हुड्डा, एम वीरप्पा मोइली, पृथ्वीराज चौहान, रेणुका चौधरी, शशि थरूर, मनीष तिवारी, मिलिंद देवड़ा, राज बब्बर, अखिलेश प्रसाद सिंह, संदीप दीक्षित..। हर मौके पर बीजेपी से दो दो हाथ करते इन नेताओं को देश ने देखा। फिर इन पर बीजेपी से सांठ गांठ का दाग कांग्रेस को ही गंदा होने से कैसे बचा पाएगा।

कांग्रेस का फाइनल फैसला

उन्होंने कहा क्या ये भी समझिए – पार्टी को एक पूर्णकालिक और जमीनी स्तर पर काम करने वाले नेतृत्व की सख्त जरूरत है। पार्टी अपना सपोर्ट बेस खो रही है और युवाओं का भरोसा भी। पार्टी को फिर से खड़ा करने के लिए किसी ठोस योजना की मांग की गई। प्रदेश अध्यक्षों के पावर और एनएसयूआई और यूथ कांग्रेस से जुड़ी कई तरह के संगठनात्मक कमियों का भी जिक्र किया गया। और तो और गांधी परिवार में आस्था जताने के साथ की गई सारी बातें।

ये बातें बकायदा देश की राजनैतिक, सामाजिक और आर्थिक संकट का हवाला देते हुए कही गई..उस पर भी बवाल देश समझ नहीं पा रहा। विशेषकर तब जब सब लोकतंत्र के नाम पर हो रहा है।

सामने कौन खड़ा है ये भी देखिए – एक लोकप्रिय प्रधान नेतृत्व, एक बड़े बेस वाली ताकतवर पार्टी, समान विचार परिवार वाला एक राष्ट्रीय संघ। जो विपक्ष का बेस बिगाड़ने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहा है। ऐसे मुकाबले में दुश्मन को अपने दोस्तों की दागदार लिस्ट सौंपना कहां की समझदारी है..?