दिल्ली में कोरोना के मामलों में पिछले दिनों उछाल दर्ज किया गया, ये बात किसी से छिपी नहीं। आंकड़े साफ इशारा कर रहे हैं कि एक बार फिर दिल्ली में कोरोना संक्रमण तेजी से फैलता दिख रहा है। इसी बात पर अपनी तैयारियों की समीक्षा बैठक मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने वुधवार को की। जिसमें स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी शिरकत की। इसी बैठक में सभी इस बात पर सहमत हुए कि दिल्ली में टेस्टिंग डबल कर दी जाए। इसके साथ साथ आइसोलेशन को बढ़ाया जाए। जिससे वक्त रहते कोरोना पर फिर लगाम कसा जा सके। यहां तक तो सब ठीक लगा, लेकिन अचानक से वीरवार शाम दिल्ली सरकार की तरफ से बात सामने आई की केन्द्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से दिल्ली के अधिकारियों पर दबाव बनाया जा रहा है कि दिल्ली में टेस्टिंग नहीं बढ़ाई जाए।
बकायदा दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन की तरफ से केन्द्रीय गृह मंत्रालय के सचिव को पत्र लिख कर ऐसा न करने की बात कही गई। इस पत्र में एक गोपनीय नोटिंग का भी जिक्र किया गया है, जो तथाकथित तौर पर गृह मंत्रालय के दबाव में तैयार कर दिल्ली सरकार के मंत्री और मुख्यमंत्री को दिखाए बिना अधिकारियों को भेजा जा रहा है।
पत्र के साथ साथ दिल्ली सरकार की तरफ से प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आप विधायक राघव चड्ढ़ा ने केंद्र सरकार पर हमला बोला। हालांकि उन्होंने ये मानी कि अभी तक केन्द्र सरकार के साथ मिल कर ही कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण बनाने में दिल्ली सरकार सफल रही है। लेकिन राघव चड्ढा ने केन्द्र सरकार पर सीधे सवाल भी दागे। जब WHO और ICMR दोनों ने ही माना है कि कोरोना से निपटने के लिए ज्यादा से ज्यादा जांच कराई जाए तो फिर केन्द्र सरकार दिल्ली में क्यों टेस्टिंग नहीं बढ़ने देना चाहती है?
टेस्टिंग पर जारी सियासी घमासान दिल्ली की जनता को निराशा से भर देने वाला है। अगर कोरोना के आंकड़े बढ़ रहे हैं तो यह बड़ी चिंता का विषय है। यह दिल्ली के साथ साथ देश देख चुका है कि जब केंद्र और राज्य सरकार साथ आए तभी दिल्ली में सकारात्मक बदलाव देखने को मिला। ऐसे में दिल्ली सरकार की तरफ से जल्दबाजी में इस तरह हर मामले को सियासी रंग दे देना, उचित नहीं ठहराया जा सकता है। पहली कोशिश आपसी बातचीत की ही होनी चाहिए उसके बाद ही किसी तरह की सियासी बयानबाजी करनी चाहिए।
विशेषकर कोरोना जैसी गंभीर स्वास्थ्य संकट के बीच इस तरह का सियासी टकराव जनता की हताशा को बढ़ाता है।