मयूरविहार फ्लाईओवर..एक बुरी मिसाल !

सालों के इंतजार के बाद 800 मी. का सड़क सुख

दिल्ली से नोएडा जाना सुनने में बेहद सामान्य सी बात लगती है। लेकिन सरकारों की सुस्ती और नासमझी जनता के जीवन में कितनी बड़ी परेशानी, कितने सालों तक के लिए खड़ी सकती है, आम जनता इसकी कल्पना भी नहीं कर सकती। कोई बड़ा प्रोजेक्ट हो तो देरी की बात समझ में भी आती है। लेकिन छोटे प्रोजेक्ट के लिए सालों का इंतजार समझ से परे है। सीधे शब्दों में समझने के लिए मयूर विहार फेज-1 के सामने बने फ्लाईओवर का उदाहरण परफेक्ट है। वैसे तो साल 2019 में फ्लाईओवर को खोल दिया गया था। आज उसके दोनों साइड के लूप यानी क्लोवरलीफ का लोकार्पण दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कर दिया। अभी भी इस प्रोजेक्ट को पूरा नहीं कहा जा सकता, क्योंकि इसी से कनेक्ट करती एक सड़क बारापुला का हिस्सा भी है जिसका काम अभी चल रहा है। लेकिन इस हिस्से का पूरा होना एक अध्याय के कंप्लीट होने जैसा है। जिससे स्थानीय लोगों को तो राहत मिलेगी ही, इसका प्रभाव पूरे क्षेत्र के ट्रैफिक कंजेशन को कम करने में होगा।

लेकिन जिस तरह से मुख्यमंत्री पीडब्ल्यूडी विभाग की तारीफ कर रहे थे कि विभाग अब कम समय और कम खर्चे में काम पूरा कर लेता है। कम से कम इस वाले प्रोजेक्ट के मामले में इससे बचा जा सकता था। क्योंकि इस पुल की पीड़ा काफी पुरानी है। जिसका सामना यहां से गुजरने वाले लाखों लोगों और स्थानीय निवासियों ने दस सालों से भी अधिक समय तक किया। लोगों को राहत देने की शुरुआत कॉमनवेल्थ गेम्स की तैयारियों के दौरान की गई। लेकिन दूरदर्शिता की कमी या संभवत: भ्रष्टाचार की वजह से सिर्फ एक तरफ से ही फ्लाईओवर का निर्माण करवाया गया। मतलब नोएडा की तरफ जाना तो आसान हो गया लेकिन आने में लंबा समय यहां लगने वाले जाम में काटना पड़ता था। फिर विभाग ने बात पर विचार किया और दूसरी साइड वाले फ्लाईओवर का काम साल 2015 के करीब प्रारंभ करवाया गया। काम की रफ्तार बहुत ही धीमी रही। बीच-बीच में काम महीनों तक बंद भी पड़ा दिखता। अब इसके पीछे वजह तो कुछ न कुछ बतायी ही जा सकती है। लेकिन इसकी वजह से लोगों को हुई परेशानी और खर्च की भरपाई कोई सरकार नहीं करने वाली। मयूर विहार के उस इलाके से अक्षरधाम की तरफ जाने के लिए करीब दो किलामीटर का अतिरिक्त चक्कर लगाना पड़ता। नोएडा से मयूर विहार की तरफ जाने के लिए भी करीब इतना ही चलता पड़ता। और इसी के साथ पुल के अंदर के सारे रास्ते सालों तक ब्लॉक होने की वजह से अगर आप नोएडा 62 या फिर एनएच-24 की तरफ से अक्षरधाम की तरफ जाना चाहते तो भी यू टर्न लेने के लिए काफी लंबा चक्कर लगाना पड़ता।  

कहना गलत नहीं होगा कि करीब 800 मीटर के इस सड़क सुख को पाने के लिए दिल्ली और नोएडा की जनता को दस सालों से भी अधिक समय का इंतजार करना पड़ा। आज इस खुशी के मौके पर भी ये बात करना जरूरी है ताकि दिल्ली सरकार के संबंधित सरकारी विभाग आगे से देश के राजधानी क्षेत्र में रहने वाली जनता को इतना तड़पाने का काम न करें।