‘कागजों पर सड़कें बनाती रही MCD’

ऐसा लगा नेहरू विहार के सड़कों की कहानी कह रहे हो सौरभ!

लगभग हर दिन आम_आदमी_पार्टी एमसीडी के भ्रष्ट कार्यशैली के उदाहरण दिल्ली वालों के सामने रख रही है। इसी क्रम में वुधवार को AAP विधायक सौरभ भारद्वाज ने बताया कि किस वजह से साउथ #दिल्ली म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन ने आनन फानन में काउंसलरों का फंड पचास लाख से बढ़ा कर एक करोड़ कर दिया है। इस वक्त इस तरह का फैसला सवाल खड़े करता है। विशेषकर एक तरफ जहां MCD अपने कर्मचारियों की सैलरी नहीं दे रही है। सफाई कर्मचारी हो, स्वास्थ्यकर्मी हो, या फिर शिक्षक ही क्यों न हो, पिछले कई महीनों की बकाया सैलरी के लिए हड़ताल कर रहे हैं। एमसीडी पैसों की कमी का रोना रोती ही रहती है।

सौरभ भारद्वाज ने सवाल उठाए हैं कि अगर आर्थिक तंगी है तो काउंसरों के फंड बढ़ाने की जल्दबाजी क्यों? दरअसल एमसीडी के नेता समझ रहे हैं कि समय कम है। कर्मचारियों को सैलरी मिले न मिले, जितनी जल्दी हो सके ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाया जाए।

एमसीडी के नेताओं की इस मंशा को साबित करने के लिए सौरभ भारद्वाज ने एमसीडी की ही ऑडिट रिपोर्ट के हवाले से बताया कि किस तरह एमसीडी सड़क बनाने के लिए आरएमसी की खरीद वर्क ऑर्डर के कुछ महीने पहले ही कर ले रही है। जबकि सब जानते है आरएमसी, यहां कंक्रीट के तैयार मसाले को ज्यादा देर तक रखा ही नहीं जा सकता। इसलिए रिपोर्ट में बकायद इस पर संशय जताया गया है। दक्षिणी और पश्चिमी दिल्ली के कुछ सड़कों से जुड़े इस खुलासे का जिक्र करते हुए सौरभ भारद्वाज ने बताया कि कैसे फंड की बंदरबांट होती है। सड़क व नालियां बस कागजों पर तैयार होती हैं, पैसा पार्षद और अधिकारी आपस में बांट लेते हैं।

ऐसा लगा मानों मुखर्जी नगर विस्तार के नेहरू विहार की बदहाल सड़क के पीछे की कहानी बता रहे हो सौरभ। सालों से इस सड़क की सूरत नहीं बदली। स्थानीय लोगों ने हर प्रशासनिक व सियासी चौखट खटखटा लिए। बीच में बीच में काम भी हुए, लेकिन महज खानापूर्ति भर। साफ लगा कि फंड का सही तरह से इस्तेमाल नहीं किया गया। नतीजतन सड़क की बदहाली बरकरार है।

आम आदमी पार्टी की तरफ से किए जा रहे एमसीडी के भ्रष्टाचार के खुलासे आगामी एमसीडी चुनावी में क्या असर दिखाते हैं देखना दिलचस्प होगा।