दिल्ली की सियासत का ‘कूड़ा मॉडल’ नहीं चाहिए !

नागरिकों ने संभाला सफाई का मोर्चा

लाखों का टैक्स सरकार को देते हैं, बदले में अगर सरकारें नागरिकों को झाड़ू उठाने पर मजबूर कर दे तो सवाल तो उठेंगे ही दिल्ली की मौजूदा सियासत पर। पता नहीं किसको कितने पैसे देने हैं, किसको किससे कितने पैसे लेने हैं। आम नागरिक को इससे कोई मतलब नहीं, बात बस इतनी समझाए कोई, किसी से काम करवा कर आप उसे उसकी मेहनत के पैसे नहीं देंगे तो वो कैसे काम करेगा?

और वो भी काम ऐसा कि हर कोई कर भी न सके। सड़कों पर झाड़ू लगाना, कूड़ा उठाना, नालियों की गंदगी निकालना, सीवर में जमा कचड़े की सफाई, बताइए कौन करना चाहेगा, ये सब काम। वहीं दूसरी तरफ सोचिए, कितने महत्वपूर्ण है ये सारे के सारे काम। हम सब की जिदंगी को स्वस्थ और सुरक्षित रखने में इनके योगदान को नकारा नहीं जा सकता। इन्हें इस काम का मेहनताना नहीं मिलना, सियासत के बहुत ही बुरे स्तर की तरफ इशारा करता है। साफ-सफाई और आम जनता की सेहत पर सियासत होने लगे तो ये बेहद शर्मनाक है।

वो भी तब देश कोरोना महामारी का मुकाबला कर रहा है। और उससे भी बड़ी बात देश गणतंत्र दिवस की तैयारियों में जुटा है। ऐसे पावन मौके पर दिल्ली में हर तरफ बस बदबू फैली है। नहीं भुलना चाहिए कि इसी गणतांत्रिक ताकत के दम पर ही चलती हैं सरकारें। अगर उसकी मर्यादा को भी भुलाने का काम करने लगे राजधानी दिल्ली के राजनेता और अधिकारी, तो इससे दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति और क्या हो सकती है?

आखिरकार मुखर्जी नगर के सतगुरु धाम रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन के लोगों ने खुद ही मोर्चा संभाल लिया। झाड़ू लेकर खुद ही सड़कों की सफाई करने निकल पड़े। आस-पास जमा गंदगी को साफ किया। लोगों को गंदगी न फैलाने के लिए अनुरोध भी कर रहे हैं। विशेषकर जब तक एमसीडी के कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान नहीं निकलता, या कहें कि जब तक हड़ताल खत्म नहीं होती, कॉलोनी के सारे लोग सहयोग करें। अपने घरों की सफाई के साथ साथ आस पास भी सफाई बनाए रखें। घरों के बाहर कचरा बिल्कुल भी न फेंके।

इस स्वच्छता अभियान से सभी नागरिकों को जुड़ने के लिए अनुरोध किया गया। सब बढ़-चढ़ कर इसमें हिस्सा लें। बार-बार बात दुहराई गई कि इसे राजनैतिक अभियान के तौर पर न देखा जाए। इसका स्वरूप सामाजिक ही रहने दिया जाए। साफ सफाई का संबंध सभी नागरिकों से हैं। सभी के स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए ये बेहद आवश्यक है। जाहिर है ये हर किसी के सहयोग से ही संभव है।

सुखविंदर सिंह, मुखर्जी नगर निवासी

मर्चेंट नेवी में चीफ इंजीनियर

“देश के सबसे बड़े पर्व के पहले दिल्ली की दुर्दशा देख मन दुखी हो गया है। इसी वजह से सोसायटी के इस सफाई अभियान का हिस्सा बना। कई देशों का भ्रमण कर चुका हूं। जिस तरह से एमसीडी के कर्मचारियों की सैलरी पर सियासत चल रही है। जिसकी वजह से देश की राजधानी कूड़ा कूड़ा है। वो भी गणतंत्र दिवस के वक्त। ऐसा दुनिया में कहीं देखने को नहीं मिलता।”

कमल विनायक, मुखर्जी नगर निवासी

टीवी एक्टर

“घर की सफाई तो हम करते रहते हैं, लेकिन अपने आस पास की सफाई करने का ये अनुभव बहुत ही अच्छे एहसास देने वाला है। एमसीडी के कर्मचारियों की हड़ताल है। उनकी अपनी मजबूरियां हैं। हैरानी होती है इतना महत्वपूर्ण काम वे करते हैं। सुबह हमारे उठने से पहले वे उठते हैं, साफ सफाई करते हैं। अब उन्हें सैलरी न मिले। ये तो बेहद शर्मनाक है। बहुत ही गंदी सियासत चल रही है। आम आदमी पार्टी हो या बीजेपी, दोनों ही एक दूसरे पर पैसों को लेकर आरोप प्रत्यारोप कर रही हैं। आम आदमी को इससे क्या मतलब, उसे तो साफ सुधरी दिल्ली चाहिए।

सफाई कर्मचारियों से भी अनुरोध है कि वे जानबूझ कर दिल्ली को गंदा न करें। हमारी सहानुभूति उनके साथ है। तभी तो हमलोगों ने झाड़ू उठाया है। हमें उनसे कोई शिकायत नहीं, अब पांच-पांच महीने से किसी को सैलरी न मिले तो वो इस महंगाई के दौर में कैसे अपना घर परिवार चलाएगा। वो ऐसा काम करते हैं, जो कोई और कर भी नहीं सकता, उनको तनख्वाह न मिले ये बहुत शर्म की बात है।”

सोनिया, मुखर्जी नगर निवासी

स्कूल टीचर

“आस पास इतनी गंदगी हमारे बच्चों और बुजुर्गों के स्वास्थ्य के लिए बहुत अधिक नुकसानदायक है। राजनीति ज्यादा नहीं समझ पाती, लेकिन अगर एमसीडी के कर्मचारियों को सैलरी ही नहीं मिलेगी तो वे कैसे काम कर सकते हैं। बहुत ज्यादा तो सैलरी मिलती नहीं है, अब वे अपने परिवार की देखभाल नहीं कर सकेंगे तो हमारे लिए कैसे काम करेंगे।

सफाईकर्मचारी हमारे समाज को साफ रखने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। हमारी ड्यूटी बनती है हम उनका साथ दें। सरकार की तो बहुत ज्यादा बनती है।

गणतंत्र दिवस के पहले ऐसे हालात बहुत ही शर्मनाक हैं। दिल्ली में हर तरफ गंदगी दिख रही है। एक तरफ तो सरकार इस कोरोना महामारी के दौर में सफाई को लेकर नागरिकों को सजग रहने की बात कहती है। जब कि दूसरी तरफ ऐसे बुरे हालात बने हुए हैं। इससें तो बीमारी फैलनी तय है। सभी संबंधित नेताओं और अधिकारियों को इस समस्या को गंभीरता से लेना चाहिए।”   

बीएन झा, मुखर्जी नगर निवासी

अध्यक्ष, सतगुरु धाम रेजिडेंट्स वेलफेयर एसो. मुखर्जी नगर

“सफाई की जिम्मेदारी हर दिल्ली वाले की है। हम सब मिलकर आस पास सफाई बनाए रखें। इसी दिशा में ये एक छोटी पहल सोसायटी की तरफ से की गई है। एमसीडी की हड़ताल चल रही है। कर्मचारियों को सैलरी नहीं मिल रही है इसलिए वे काम नहीं कर रहे हैं। कोरोना काल में निगम के कर्मचारियों ने सराहनीय काम किया है। हम उसे नहीं भुला सकते। हम उनके साथ हैं। इससे इंकार नहीं किया जा सकता कि दिल्ली सरकार और एमसीडी के बीच चल रही सियासी खींचतान का खामियाजा दिल्ली की जनता को भुगतना पड़ रहा है।”