सीरीज-7 दिल्ली की बदलती प्रशासनिक संरचना

दिल्ली का मौजूदा संवैधानिक स्वरूप

  1. 33, तमाम तरह के तर्क वितर्क के बाद सरकारिया समिति इस बात से सहमत हुई कि लोकतांत्रिक और उत्तरदायी सरकार की जरूरतें तभी पूरी हो सकती है जब दिल्ली में विधानसभा और मंत्रिमंडल की स्थापना हो। समिति ने इसके लिए सिफारिश की, लेकिन साथ ही दिल्ली के संदर्भ में विधानसभा के अधिकारों से जुड़े कुछ विषयों के अपवाद को भी शामिल किया।
  2.  34. 20 सितंबर 1991 को संविधान का 69 वां संशोधन विधेयक पेश किया गया। जिसमें दिल्ली में विधानसभा और मंत्रिमंडल देने की बात की गई।
  3.  35. फाइनली संविधान उनहत्तरवां संशोधन एक्ट, 1991 संसद की सहमति से बना जिसे जीएनसीटी एक्ट कहते हैं।
  4.  36. संविधान के अनुसार निर्धारित दिल्ली की राजनीतिक संरचना की कुछ अहम बातें: a. दिल्ली केन्द्र शासित क्षेत्र बना रहेगा जिसे यहां राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के नाम से जाना जाएगा। b.मुख्य प्रशासक उपराज्यपाल होंगे। c. दिल्ली के लोगों के द्वारा चुने गए सदस्यों वाली विधानसभा होगी। d. उपराज्यपाल की सहायता और सलाह के लिए मुख्यमंत्री के नेतृत्व वाला मंत्रिपरिषद रहेगा। e. उपराज्यपाल और मंत्रिपरिषद के बीच मत भिन्न्ता की स्थिति में राष्ट्रपति का निर्णय अंतिम होगा। f. विधानसभा के क्षेत्रों का बंटवारा संसद के कानून से नियंत्रित होंगे। g. सरकारी सेवा, पुलिस और भूमि को छोड़कर राज्य सूची या समवर्ती सूची में दिए गए विषयों को लेकर कानून बनाने का अधिकार विधानसभा में निहित। h. केन्द्रशासित क्षेत्र के लिए किसी भी विषय को लेकर कानून बनाने के संविधान के तहत संसद के अधिकार अप्रभावित रहेंगे।

(साभार – एनबीटी)