सीरीज-3 दिल्ली की बदलती प्रशासनिक संरचना

आजाद भारत में दिल्ली

13. संविधान सभा में  बी. पट्टाभि सीतारमैया समिति के सुझावों पर आम सहमति नहीं बन सकी और मुख्य राज्य आयुक्त (दिल्ली, अजमेर, कुर्ग) और केन्द्र शासित क्षेत्र (हिमाचल प्रदेश, भोपाल, त्रिपुरा आदि) के लिए विधानसभाओं और मंत्रिपरिषदों के प्रावधान तैयार करने का काम संसद पर छोड़ दिया गया। संविधान में विशेष प्रावधान बना दिया गया कि इन्हें राष्ट्रपति ही अपने द्वारा नियुक्त मुख्य आयुक्त या उपराज्यपाल के जरिए प्रशासित करेंगे।

14. साल 1951 में संसद ने गवर्नमेंट पार्ट सी स्टेट्स, एक्ट 1951 लागू कर दिया। इन विशेष राज्यों को पार्ट सी राज्य का दर्जा दे दिया गया और इनके लिए ऐसी व्यवस्था बनाने के लिए संसद को अधिकृत कर दिया गया जिसमें राज्य के लिए विधायिका या मंत्रिपरिषद या सलाहकारों को निर्वाचित या नामांकित किया जा सकता था।

15. इस नई व्यवस्था के तहत 7 मार्च 1952 को दिल्ली की पहली विधानसभा प्रभाव में आई। जिसमें 48 सदस्य शामिल थे। जिसका नेतृत्व चौधरी ब्रह्मप्रकाश कर रहे थे।

16. गौरतलब है कि इस विधानसभा के पास राजकीय आदेश, रेलवे पुलिस समेत पुलिस, नगर निगमों, जलापूर्ति, ड्रेनेज, विद्युत, परिवहन और दिल्ली की अन्य जनोपयोगी सेवाओं के संबंध में कानून बनाने की शक्तियां नहीं थीं।

17. यह व्यवस्था अगले 4 – 5 साल यानी 1956 तक ही जारी रह सकी।