नए पार्षदों ने रचे भ्रष्टाचार के नए कीर्तिमान-AAP

10 लाख की वसूली करता पार्षद गिरफ्तार

दिल्ली के पिछले निगम चुनाव में बीजेपी नया नारा लेकर आई- ‘नए चेहरे, नई उड़ान’, मकसद यही था कि जनता की नफरत का सामना कर रहे बीजेपी के तत्कालिन पार्षदों से किनारा कर लिया जाए और नए चेहरों के साथ चुनाव में जाया जाए। प्लान सफल भी रहा। बीजेपी ने जबरदस्त जीत हासिल की। लेकिन आए दिन आम आदमी पार्टी दिल्ली नगर निगम में व्याप्त भ्रष्टाचार का खुलासा कर रही है, इससे जुड़े सारे मामले मुखरता से जनता के सामने रख रही है, यह साबित कर रही है कि बीजेपी के नए पार्षदों ने भ्रष्टाचार के मामले में पुराने पार्षदों के भी रिकार्ड तोड़ दिए।

ताजा मामला साउथ दिल्ली नगर निगम से जुड़ा है। आम आदमी पार्टी की तरफ से विधायक सौरभ भारद्वाज ने खुलासा किया कि वसंत कुंज के वार्ड नं. 69S के पार्षद मनोज मेहलावत को सीबीआई ने बिल्डिंग बनवाने के नाम पर 10 लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा। लेकिन मामला बीजेपी के पार्षद से जुड़ा होने की वजह से इस बात का जिक्र सीबीआई ने अपनी प्रेस रिलीज में नहीं किया। दरअसल सीबीआई को पता ही नहीं था कि जिसे वो पकड़ने जा रही है वो बीजेपी का पार्षद है। उन्होंने तो एमसीडी का कोई जेई समझ कर ट्रैप लगाया था। शिकायत मिली थी कि वसंत कुंज के किसी फॉर्म में बिल्डिंग निर्माण के नाम पर अवैध वसूली के लिए दबाव बनाया जा रहा है।

सौरभ भारद्वाज ने दिल्ली में बिल्डिंग निर्माण में एमसीडी की तरफ से धड़ल्ले से जारी अवैध वसूली के धंधे की पोल खोल कर रख दी। उन्होंने बताया कि साउथ दिल्ली में किस तरह से मकान में पड़ने वाले लेंटर के हिसाब से वसूली होती है। एक लेंटर का रेट ढाई लाख रुपए के करीब है। यानी अगर चार लेंटर डालने हैं तो दस लाख रुपए एमसीडी को देना पड़ता है। बेलदार, जेई, एई से लेकर तमाम नीचे से उपर तक एमसीडी के अधिकारी और कर्मचारी इस भ्रष्टाचार के खेल में शामिल हैं। पैसा सबके बीच बंटता है। बकायदा कोड में बात होती है – ‘चार किलो आलू देना होगा’, मतलब चार लाख रुपए देने होंगे, एक किलो आलू का मतलब एक लाख रुपए।

इसकी बकायदा स्थापित प्रणाली है। नीचे बेलदार या लोकल दलाल इस डील को निपटाता है। इसी स्थापित प्रणाली को तोड़ने के चक्कर में फंसे बीजेपी के नए पार्षद मनोज मेहलावत। बताया जा रहा है कि वे खुद ही डील फाइनल करने में जुटे थे। मतलब नया चेहरा, नई उड़ान। लेकिन पार्षद महोदय को यह उड़ान महंगी पड़ गई।

हालांकि बीजेपी ने पल्ला झाड़ते हुए तत्काल ही मनोज मेहलावत को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। लेकिन इससे इंकार नहीं किया जा सकता कि एमसीडी के दामन को साफ करने की चुनौती बड़ी है। पूरी दिल्ली में बिल्डिंग निर्माण में अवैध वसूली का धंधा खुले आम फल-फूल रहा है। यह बड़ा मामला है और सभी की जानकारी में है। इसे रोकना भी आसान नहीं। जिस तरह से आम आदमी पार्टी लगातार एमसीडी की भ्रष्टाचार सीरिज चला रही है, तय है कि आने वाले समय में बीजेपी के कुछ और पार्षद इसकी चपेट में आ सकते हैं।