कृषि कानूनों पर सरकार की सफाई

दिल्ली में किसानों का आंदोलन दिनों दिन तेज होता जा रहा है। सरकार और किसानों के प्रतिनिधियों को बीच पहले राउंड की बैठक हो चुकी है। बताया जा रहा है कि बात बहुत बेहतर ढंग से नहीं हो पाई है। अगली बैठक तीन दिसंबर को होनी है। एक तरफ किसान अपनी मांगों को लेकर अड़े हैं। मुख्यरूप से वे चाहते हैं कि सरकार ने जो तीन नए कानून बनाए हैं उसे सरकार रद्द करे। कम से कम से एमएसपी पर लिखित में आश्वासन दे सरकार। सिर्फ बोलने से बात नहीं मानी जाएगी।

वही दूसरी तरफ सरकार नए कृषि कानूनों को लेकर काफी सकारात्मक रुख अपनाए हुए है। उसका मानना है कि ये कानून देश में खेती किसानी की तस्वीर बदल देने वाले हैं। किसानों की आय में जबरदस्त इजाफा होगा। सरकार को लगता है कि देश के किसानों को नए कानूनों के प्रति भड़काया जा रहा है। सही तरीके से किसान नए कानूनों को समझ नहीं पा रहे हैं। इससे देश में भी गलत संदेश जा रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार सोशल मीडिया व अन्य माध्यमों से बिल के बारे में सही जानकारी फैलाने की कोशिश में जुटी है।

  1. किसानों के फायदे के लिए उन्हें अधिक विकल्प देने का विरोध सही नहीं माना जा सकता। नए कृषि कानूनों के तहत किसानों को उनकी फसल मंडी के साथ ही पूरे देश में किसी को भी बेचने का अधिकार दिया गया है।
  2. सरकार एमएसपी पर पिछले सीजन से ज्यादा फसलें खरीद रही है। फिर एमएसपी के नाम पर किसानों को गुमराह करना गलत है। सरकार ने एमएसपी पर इस बार 315 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा धान, सबसे ज्यादा खरीद पंजाब से हुई। कुल 202 लाख मीट्रिक टन धान केवल पंजाब से खरीदा गया, जो पूरी खरीद का 64.18 प्रतिशत है। फिर पंजाब में इसी एमएसपी पर हंगामा समझ से परे है।
  3. नए कृषि कानूनों को पंजाब सरकार ने लागू नहीं किया है। फिर भी पंजाब के किसान ही विरोध प्रदर्शन ज्यादा कर रहे हैं। ये किसी सियासी साजिश की तरफ इशारा करता है।
  4. अगर नए कृषि कानून किसान विरोधी हैं तो पूरे देश में इनका विरोध होता। जबकि सच्चाई यह है कि महाराष्ट्र से लेकर उत्तर प्रदेश और गुजरात से लेकर बिहार तक देश भर के किसानों ने कानून का स्वागत किया है।
  5. सरकार ने नए कानूनों से बिचौलियों की मनमानी खत्म करके किसानों को ज्यादा फायदा पहुंचाने का प्रावधान किया है। इसमें किसान विरोध वाली बात कैसे हुई?
  6. अगर सरकार की मंशा मंडियों को खत्म करने की रहती तो पिछले 6 सालों में मंडियों के डिजिटलीकरण पर इतना काम क्यों किया जाता?
  7. e-NAM नाम से चल रहे डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अब तक देश भर की 1 हजार मंडियां पंजीकृत हैं।
  8. अगर केंद्र सरकार को एमएसपी की प्रक्रिया को समाप्त करना होता तो वह समय समय पर इसमें वृद्धि क्यों करती? अभी हाल में सरकार ने रबी की 6 फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी की है।
  9. सरकार धान, दलहन, तिलहन की एमएसपी पर रिकॉर्ड खरीद कर रही है। ऐसे में विरोध उचित नहीं है। यहां तक कि किसान आंदोलन के बीच में भी सरकारी एजेंसियों द्वारा फसलों की रिकार्ड खरीद की गई है।
  10. नए कानूनों ने किसानों को उनकी फसल मंडियों में बेचने के साथ साथ किसी को भी मनमाफिक दामों पर बेचने का विकल्प दिया है।
  11.  अगर कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग से किसानों को नुकसान होता है तो दशकों से हरियाणा और पंजाब में कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग सफल क्यों रही है? इस पर बहस होनी चाहिए।
  12.  मोदी सरकार किसानों की आय दोगुनी करने के लिए संकल्पित है। साल 2009-14 के बीच कुल गेहूं खरीद 1.5 लाख करोड़ रुपए हुई थी जो कि साल 2014-19 में 2 गुणा बढ़कर 3 लाख करोड़ रुपए की हो गई।
  13.  उसी तरह साल 2009-14 के बीच 2 लाख करोड़ रुपए के कुल धान की खरीद हुई जो साल 2014-19 में ढाई गुणा बढ़कर 5 लाख करोड़ रुपए की हुई।