‘सैलरी पर सियासत हमें गंवारा नहीं’

पिछले पांच महीने से सैलरी नहीं मिलने से परेशान नॉर्थ एमसीडी के इलैक्ट्रीकल व मैकेनिकल विभाग के कर्मचारी भी अनिश्चितकालीन हड़ताल करने के लिए बाध्य हुए। सैलरी का इस तरह से सियासी मुद्दा बन जाना उन्हें परेशान करने लगा है। दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी की आपसी खींचतान उनके लिए बड़ी मुसीबत बनती जा रही है। सैलरी को लेकर अनिश्चितता बढ़ती ही जा रही है। कोरोना महामारी चल रही है। सबने अपना और अपने परिवार की जान की परवाह न करते हुए दिन-रात काम किया, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सफाईकर्मियों के समर्पण की सराहना की, बावजूद इसके बीजेपी शासित एमसीडी का सैलरी संकट समझ से परे है। रही बात तो दिल्ली सरकार की, इतना तो तय है कि एमसीडी के कर्मचारी दिल्ली की ही तो साफ-सफाई करते हैं। यहां के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हैं, यह उनकी कानूनी न सही नैतिक जिम्मेदारी तो बनती ही है कि पैसे को लेकर जो भी उलझन है उसे सुलझाए। इस तरह गरीब कर्मचारियों के साथ सियासी खेल न खेलें।

परिवार की जरूरतें पूरी नहीं कर पा रहे हैं लोग। जो यहां किराए पर रहते हैं उन्हें तो बहुत ही परेशानी उठानी पड़ती है। हमेशा मकानमालिक मकान खाली करने की धमकी देता रहता है। राशन की दूकान वाले उधार देने से मना करने लगे हैं। ऐसे में कैसे कोई त्योहार मनाए? बच्चे नए कपड़े खरीदने की जिद करते हैं। दीए जलाने तक को पैसे नहीं है। सैलरी पर सियासत जान पर भारी पर रही है। पांच महीने से सैलरी नहीं मिलने से अंदर से टूट चुके कई कर्मचारी तो आत्मदाह तक करने की धमकी देते दिखे। सबका सरकार से बस एक ही अनुरोध है कि अगर किसी भी तरह का भ्रष्टाचार एमसीडी में है तो केंद्र की सरकार और राज्य की सरकार हर की जांच करवाए लेकिन गरीब कर्मचारियों का वेतन रोक कर उनके जीवन के साथ खिलवाड़ न करे।

सिविल लाइंस के तिमारपुर स्थित अधिशासी अभियंता कार्यालय में धरने पर बैठे कर्मचारियों की मुख्य मांग हालांकि सैलरी है लेकिन साथ ही वे चाहते है कि विभाग में जारी तमाम तरह की अनियमितता भी खत्म हो। भारतीय मजदूर संघ समर्थित ऑल मजदूर संघ के अध्यक्ष प्रवीन चंदेला ने बताया कि समय पर सैलरी नहीं मिलना, महीनों तक सैलरी अटकाए रखना विभाग की परंपरा सी बन गई है। सैलरी के साथ मिलने वाली अन्य सुविधाएं जैसे मेडिकल, बच्चों की फीस, छुट्टियों और ओवरटाइम के पैसे, साबुन तेल तक के पैसों की तो कोई चर्चा ही नहीं करता। जरा सी आवाज उठाने पर ट्रांसफर की धमकी दी जाती है। लंबे समय से कर्मचारियों के प्रोमोशन रुके हुए हैं। कर्मचारियों का धैर्य जवाब दे चुका है।  

संघठन के महामंत्री मनीष कुमार ने बताया कि कोरोना काल में उन्हें कभी भी न तो मास्क और न ही सैनिटाइजर मुहैया करवाया गया। फिर भी सबने काम किया। कई-कई घंटे काम किया। विभाग की तरफ से काम का दबाव हमेशा बनाए रखा गया। अगर किसी वजह से कोई काम पर नहीं आ पाया तो उसकी गैरहाजिरी दर्ज होनी तय है। किसी तरह की कोई रियायत नहीं बरती जाती। उन्हें साफ लगता है कि सैलरी के नाम पर सियासत हो रही है।

सरकारी विभाग में काम करते हैं लेकिन सैलरी नहीं मिलती यह बात सभी को परेशान करती है। इसकी वजह न तो उन्हें समझ आती है और न ही वे अपनी यह समस्या परिवार और समाज को समझा पाते हैं। शुरू में तो सबको यही लगता है कि झूठ बोल रहे हैं। ऐसे में सैलरी संकट समाज में कर्मचारियों की पहचान बिगाड़ रहा है।

एमसीडी का विद्युत एवं यांत्रिकी विभाग शहर की साफ-सफाई संबंधित बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका में काम करता है। कॉलोनियों मे बने पंप हाउस का संचालन इनके जिम्मे रहता है। सीवर और बारिश के पानी को पंप से बाहर निकाल कर बड़े नाले में डाला जाता है ताकि किसी भी तरह के जल जमाव की स्थिति न बने। शहर की नीची सतही जमीन और रेलवे के अंडरपास को लेकर हमेशा सर्तक रहते हैं। हमेशा इमरजेंसी की स्थिति में सातो दिन, चौबीसों घंटे काम पर तैनात रहते हैं ईएंडएम विभाग के कर्मचारी। विशेषकर बारिश के मौसम में इनकी मुस्तैदी शहर को सुचारू ढ़ंग से चलाने में बड़ी भूमिका निभाती है।