सर्दियों के पहले यह कैसा सितम?

दिल्ली के संगम विहार इलाके में तकरीबन 100 लोगों के घर तोड़ दिए गए। जिसकी वजह से बड़ी संख्या में लोग बेघर हो गए, अपने परिवार के साथ सर्द रातों में खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर हैं। देवली विधानसभा के तहत आने वाले एल फर्स्ट और एल सेकेंड इलाके के पीड़ित परिवारों ने दिल्ली कांग्रेस के नेतृत्व में मुख्यमंत्री आवास पर प्रदर्शन किया। उनका आरोप है कि इलाके के आम आदमी पार्टी के विधायक प्रकाश जरवाल की शिकायत पर राजस्व विभाग ने बिना किसी पूर्व सूचना के मकान तोड़ने का काम किया है। इलाके के अधिकांश निवासी पिछले लगभग 40 सालों से इन मकानों में रह रहे थे। हर तरह की सरकारी सुविधा हासिल कर रहे थे यहां के लोग। उनके पास पानी, बिजली के कनेक्शन, राशन कार्ड, चुनाव पहचान पत्र और आधार कार्ड तक हैं। बावजूद इसके इनका आशियाना छीन लिया गया। साथ ही अभी और भी मकानों को तोड़े जाने के लिए नोटिस जारी किया गया है। 

गौरतलब है कि दिल्ली सरकार के चुनावी वादों में ‘जहां झुग्गी वहां मकान’ का वादा प्रमुख रहा है। बावजूद इसके सरकार की तरफ से कोई ठोस पहल होती नहीं दिखती है। समय समय पर इस तरह के मामले सामने आते ही रहते हैं। बेघर, निराश हताश लोगों का दर्द तब और बढ जाता है जब सत्ताधारी पार्टी की तरफ से कोई भी मरहम लगाना तो दूर सुनने तक को सामने नहीं आता है। देवली के पीड़ित परिवारों को आशंका है कि यह सब विधायक की शिकायत पर ही किया गया है। बार बार उनसे मिलने संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन वे नहीं मिले। यहां तक कि सीएम आवास पहुंचने पर उन्हें निराशा ही हाथ लगी। सीएम केजरीवाल से मिलकर अपनी परेशानी बताना चाहते थे। लेकिन ऐसा संभव नहीं हो सका।

पीड़ितों की तरफ से दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष अनिल चौधरी ने सीएम निवास पर ज्ञापन जमा करवाया, जिसमें कहा गया है कि संगम विहार क्षेत्र में तोड़े गए मकानों का पुननिर्माण करवाया जाए और मुआवजा दिया जाए साथ ही संबंधित विभाग को तुरंत निर्देश जारी किया जाए कि जिन मकानों को तोड़ने के लिए नोटिस दिए गए है उन्हें तत्तकाल प्रभाव से स्थगित करें।