बाबा का ढ़ाबा : बाकी है दिल्ली की धड़कन

इधर कई ऐसे मौके आए जब लगा कि दिल्ली में दिल वालों की कमी सी हो गई है। इस शहर की पहचान बदलती जा रही है। ‘दिल वालों की दिल्ली’ वाली पहचान धूमिल सी होती लगी। लेकिन जिस तरह से दिल्ली की सोशल मीडिया सर्किल में ‘बाबा का ढ़ाबा’ ने ट्रेंड किया, इससे तो यही लगा कि..दिल्ली के दिल में धड़कन अभी बाकी है। अभी सब खत्म नहीं हुआ है। इस शहर में दिल वाले अभी हैं जो दिल की सुनते हैं..दिल की करते हैं।

साउथ दिल्ली के मालवीय नगर मार्केट के पास एक बुजुर्ग दंपत्ति ‘बाबा का ढ़ाबा’ नाम से फूड कॉर्नर चलाते हैं। कोरोना और लॉक डाउन की वजह से उनकी बिक्री बहुत बुरी तरह से प्रभावित हो रही थी। वीडियों ब्लॉगर गौरव वासन की नजर इस ढ़ाबे पर पड़ी। उनका प्रोफाइल बताता है कि वासन खाने की चीजों के बारे में ही लिखते और वीडियो बनाते हैं। उन्हें लगा कि बाबा के खाने की क्वालिटी अच्छी है। साफ-सफाई से, पूरे मन से  खाना तैयार करते हैं। उन्होंने वीडियो में उनकी मटर पनीर की सब्जी दिखाते हुए तारीफ भी की। इस दौरान बाबा भावुक होकर रोने लगे। बाबा ने बताया कि किस तरह से वे सुबह से ही खाना बनाने की तैयारी में जुट जाते हैं। लेकिन दोपहर तक सिर्फ 60 रुपए की कमाई उन्हें परेशान कर दे रही है।

बाबा को सहायता राशि देते आदेश गुप्ता

‘बाबा का ढाबा’ में लोगों को आकर खाने की सुझाव देते हुए वासन ने वीडियों यू ट्यूब में शेयर कर दिया। वहां तेजी से फैला वीडियो। लोग इसे लाइक और शेयर करने लगे। फिर इस वीडियो को वसुंधरा तनखा ने अपने ट्वीटर एकाउंट पर शेयर कर दिया। देखते देखते चंद घंटों में ही दिल्ली वालों में यह खबर आग की तरह की फैल गई। और फिर लोग बाबा के ढ़ाबे पर खाने के लिए पहुंचने लगे। हर तबके के लोग वहां पहुंचने लगे। हालत ये हो गई कि बाबा को खाने बनाने के लिए लड़के रखने पर गए। दिल्ली के लोग खाने पीने के शौकिन तो होते ही हैं। बस पसंद आने की देर है। फिर तो टूट ही पड़ते हैं उस स्टॉल पर। यही बाबा का ढ़ाबा पर हुआ।

बाबा के ढ़ाबे पर विधायक सोमनाथ भारती

कुछ ही घंटों में सोशल मीडिया सनसनी बन गया ‘बाबा का ढ़ाबा’। आम दिल्ली वाले आगे आए तो नेताओं को तो आना ही था। आम आदमी पार्टी के नेता और मालवीय नगर के विधायक सोमनाथ भारती पहुंचे। बाबा से मिले और पूरे सहयोग का भरोसा दिया। बीजेपी वाले कहां पीछे हटने वाले थे। दिल्ली बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता भी पहुंच गए। उन्होंने बाबा को कुछ सहयोग राशि भी दी। साथ ही चलते चलते सियासी दांव भी खेल गए। मौका पर चौका मारते हुए वे दिल्ली सरकार द्वारा बुजुर्गों को दी जाने वाली पेंशन योजना में अनियमितता का मुद्दा उठाने से खुद को नहीं रोक पाए।

कुल मिला कर कहा जाए तो ‘बाबा का ढ़ाबा’ दिल्ली वालों के दिल में जगह बना चुका है। इसका श्रेय वासदेव और तनखा के साथ साथ उन सभी दिल्ली वालों को जाता है..जो दिल की सुनते हैं…दिल की करते हैं…शहर की धड़कनों को जिन्दा रखते हैं।