दिल्ली की डेंगू वाली सियासत

#10Hafte10Baje10Minute

बारिश का मौसम आया साथ लाया डेंगू वाला मच्छर। जिसके डंक ने साल दर साल दिल्ली वालों को बड़ी संख्या में बीमार किया। पिछले साल के आंकड़ों को छोड़ दे तो कुछ साल पहले तक इस मौसम में चर्चा डेंगू की होती थी। हजारों की संख्या में डेंगू, चिकनगुनिया जैसी बीमारियों की चपेट में आते थे। चलिए गनीमत है कि इस पर तो कंट्रोल लगा। पिछले साल केवल 5 हजार के करीब मरीज थे। मौत का आंकड़ा 2 पर सिमट गया। किस विभाग ने क्या काम किया, किसने मेहनत की, किसने केवल हवा बनाई कौन जानता है। बस इसी बात ने हवा दे दी इस साल डेंगू के आने की आहट के साथ ही डेंगू वाली सियासत को।

केजरीवाल साल ने पिछली बार की तरह सितंबर के पहले रविवार से “10 हफ्ते 10 बजे 10 मिनट” अभियान की शुरूआत कर दी। इसका मतलब है कि हर दिल्ली वाला आने वाले हर 10 रविवार तक सुबह 10 मिनट समय निकाल कर अपने घर में, पास पड़ोस में देखेगा कि कहीं साफ पानी तो नहीं जमा है। जिसमें डेंगू के खतरनाक मच्छर पैदा होते हैं। उस पानी को तुरंत हटाना है। रविवार की सुबह से ही पहले मुख्मंमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने घर में से इस जमा हुए पानी को निकाला। ऐसा करते हुए अपना वीडियो शेयर किया। फिर बारी बारी से उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन और आप के अन्य नेताओं और मंत्रियों ने अपने वीडियो शेयर करने शुरू किए।

आदेश गुप्ता, दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष

लेकिन शाम होते होते इस 10 मिनट वाले अभियान ने बीजेपी का मूड बिगाड़ दिया। भड़क उठी बीजेपी। केजरीवाल सरकार के इस अभियान को खोखला करार दिया। बीजेपी का कहना है कि इस तरह आम आदमी पार्टी की सरकार एमसीडी के कामों का श्रेय हथियाने का काम कर रही है। डेंगू पर नियंत्रण दरअसल पिछले कुछ सालों से एमसीडी के किए गए अथक प्रयासों का नतीजा है। दिल्ली बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने आप सरकार पर खतरनाक तरीके से हमला ही बोल दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि एक तरफ तो एमसीडी को पैसा नहीं दे रही दिल्ली सरकार दूसरी तरफ लाखों रुपए इस तरह के अभियानों के विज्ञापन पर खर्च कर देती है। पैसा न देकर एमसीडी के कामों में अड़ंगा लगाने का काम किया जाता है। विभाग के अच्छे कामों की तारीफ करने की जगह उसे बदनाम किया जाता है। उसका हक मारा जाता है।

डेंगू वाली सियासत आने वाले दिनों में और क्या रंग लेती है इसके लिए इंतजार करना होगा। लेकिन इससे इंकार नहीं किया जा सकता कि विभाग की मेहनत के साथ साथ इस तरह की जन भागीदारी से ही डेंगू से जंग में जीत हासिल की जा सकती है।