केंद्र की योजनाओं से परहेज क्यों ?

दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार और केंद्र की बीजेपी सरकार के बीच सियासी खींच-तान कोई नई बात नहीं। ये कभी खत्म हो जाएगी ऐसी उम्मीद भी नहीं। लेकिन इन सब के बीच जन सरोकार के काम पर रोक लगाना किसी भी तरीके से उचित नहीं ठहराया जा सकता है। उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली समेत पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और उड़ीसा को नोटिस भेजा है। उनसे जवाब मांगा गया है कि उन्होंने अपने राज्य के लोगों को केंद्र सरकार की ‘आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना’ का लाभ लेने से क्यों रोका ? यह संविधान के आर्टिकल 14, जिसके तहत कानून के समक्ष नागरिकों को समानता का अधिकार मिलता है और आर्टिकल 21, जिसके तहत जीवन की सुरक्षा का अधिकार शामिल है, का उल्लंघन है।

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने देश भर के करीब 50 करोड़ गरीब लोगों के लिए महत्वाकांक्षी जीवन सुरक्षा योजना शुरू की हुई है। जिसके तहत सलाना 64 सौ करोड़ रुपए का बजट निर्धारित है। इस योजना के तहत 5 लाख तक की राशि का मुफ्त इलाज का लाभ मिलता है। अब तक देश भर में 96 लाख से ज्यादा गरीब इस योजना से लाभान्वित हो चुके हैं। 12 करोड़ 54 लाख लोगों को इसके ई-कूपन जारी हो चुके हैं। 20 लाख से ज्यादा अस्पताल इसमें सूचीबद्ध हो चुके हैं।

दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने इस मामले में केजरीवाल सरकार पर जबरदस्त हमला बोला है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार ने सिर्फ सियासी कारणों से गरीबों के हक में सेंधमारी की है। विशेषकर इस कोरोना संकट के समय गरीबों को इस योजना के माध्यम से बेहतर इलाज मिल सकता था। दिल्ली में 10 लाख परिवार के हिसाब से करीब 50 लाख लोग इस योजना में लाभान्वित होते।

केजरीवाल सरकार ने सिर्फ इसलिए इसे यहां लागू नहीं करवाया क्योंकि इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुरू किया है।

इसके साथ ही आदेश गुप्ता ने कहा कि केजरीवाल सरकार दिल्ली के गरीबों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ भी नहीं लेने दे रही है। अगर इस योजना के तहत दिल्ली में काम शुरू हो गए होते तो आज जिस तरह का संकट दिल्ली के झुग्गी-झोपड़ी वालों को झेलना पड़ रहा है ऐसा नहीं होता, सिर पर छत के साथ वे सम्मान से जी रहे होते। दिल्ली सरकार को जनता को बताना होगा कि आखिर आपने इन योजनाओं क्यों रोका?