कोरोना के समय ये कैसा रोना ?

दिल्ली सरकार और एलजी की लड़ाई कोरोना काल में भी थमने का नाम नहीं ले रही है। ये दौर आपस में लड़ने की बजाए साथ मिल कर काम करने का है। अधिकारों को लेकर आपसी खींचतान दिल्ली की सेहत बिगाड़ सकती है। नहीं भूलना चाहिए कि दिल्ली में हालात तभी सुधरे जब केंद्र और दिल्ली सरकार साथ आए। उसके पहले के हालात किसी से छिपे नहीं थे। दिल्ली सरकार के हाथ पांव फूले थे। डरावने आंकड़ों से दिल्ली की जनता के डराने का काम कर रहे थे दिल्ली सरकार के मंत्री। ऐसे में फिर के कैसी तनातनी, ये कैसा रोना।

ताजा मामला दिल्ली सरकार की होटल और साप्ताहिक बाजार खोलने की मांग से जुड़ा है। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने गृहमंत्री अमित शाह को इस संबंध में चिट्ठी लिखी है। जिसमें उनसे एलजी के आदेश को पलटने के लिए कहा गया है।

दिल्ली सरकार चाहती है जैसे देश के अन्य हिस्सों में कोरोना के बढ़ते मामलों के बावजूद होटल और साप्ताहिक बाजार खोलने के आदेश दिए गए ठीक वैसे ही यहां भी इसकी अनुमति दी जाए। सीधे तौर पर देखा जाए तो दिल्ली सरकार की मांग ठीक लगती है। सूबे की आर्थिक सेहत के लिए ऐसा किया जाना बहुत जरूरी है। लेकिन हमें नहीं भूलना चाहिए कि दोनों ही कामों में कोरोना के बढ़ते खतरे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। चलिए होटलों में तो थोड़ा बहुत मैनेज किया जा सकता है, लेकिन साप्ताहिक बाजार में तो हालात संभालना बहुत मुश्किल है। सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन असंभव सा है। साथ ही ये भी ध्यान रखना होगा कि इस तरह के बाजारों में आने वाले ज्यादातर निम्न मध्यम वर्ग या गरीब लोग होते हैं। जिन्हें कोरोना वायरस ने सबसे ज्यादा परेशान किया है। समाज के सबसे संवेदनशील और कमजोर तबके को ही आगे कर बढ़ने की रणनीति पर काम करते हैं तो इसके परिणाम ज्यादा भयावह हो सकते हैं।

वैसे भी अब तकरीबन हर इलाके में साप्ताहिक बाजार लगाने वाले अपनी दूकान अलग से लगाने लगे हैं। उनके प्रोडक्ट ठेले पर या अन्य तरीकों से लोगों तक पहुंचने लगे हैं। एकदम से साप्ताहिक बाजार की अनुमति मिलने से हालात बिगड़ सकते हैं।

इस दिशा में सोचने से पहले दिल्ली सरकार को ये भी जरूर सोच लेना चाहिए कि दिल्ली पुलिस से उसके रिश्ते बिल्कुल भी अच्छे नहीं हैं। विशेषकर केंद्र की सहमति के बिना इस तरफ कदम बढ़ाने पर तो दिल्ली पुलिस का साथ नहीं मिलना तय है। साप्ताहिक बाजारों की भीड़ से सेल्फ रेगुलेट होने की इच्छा रखना तो मूर्खता ही होगी।

फिर बात वही कि केंद्र और दिल्ली सरकार का तालमेल इस कोरोना काल में नहीं बिगड़ना चाहिए। थोड़ी देर हो जाए लेकिन संभले हुए हालात नहीं बिगड़ने चाहिए। दिल्ली अभी देश ही नहीं दुनिया के लिए मिसाल बनी हुई है। इसके लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और गृहमंत्री अमित शाह दोनों की भूमिका सराहनीय रही है। जरूरी है कि जो भी फैसला लिया जाए, केंद्र और दिल्ली दोनों सरकारों की आपसी सहमति से, प्रशासनिक तालमेल के साथ ही लिया जाए, लड़कर, रोकर तो बिल्कुल भी नहीं।